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“उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग का समाजवादी मंत्र : आ बैल, मुझे मार!!” Date 26 june 2013

PAHAL - An Initiative by Shyam Dev Mishra
PAHAL - An Initiative by Shyam Dev Mishra
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भाई, न ब्रेकिंग है और न एक्सक्लूसिव…… किसी नामी अखबार, प्रसिद्ध साईट, चर्चित ब्लॉग या किसी विद्वान फेसबुक-यूजर द्वारा पब्लिश मैटर नहीं, बस थोडा-बहुत पढ़कर जो समझ में आया लिख रहा रहा हूँ, बताइएगा, कहाँ तक सही हूँ ??

NCTE के अधिकार और उसकी TET सम्बन्धी गाइडलाइन्स के अनुसार अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम (बीटीसी) के द्वितीय सत्र में अध्ययनरत होने के दौरान टेट-2011 में सम्मिलित व उत्तीर्ण होने वाले बीटीसी अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती से उनके टेट-प्रमाणपत्र को अवैध/अस्वीकार्य बताकर किया जाना तकनीकी तौर पर गलत लगता है।

NCTE गाइडलाइन्स के अनुसार जहाँ न्यूनतम अर्हता के अंतर्गत मान्य “अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में अध्ययनरत अभ्यर्थी” भी टेट में सम्मिलित हो सकते हैं, और इनमे कहीं भी अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर में अध्ययनरत होने की शर्त नहीं है।

NCTE गाइडलाइन्स पुनः कहती हैं कि सभी सफल अभ्यर्थियों को प्रमाणपत्र दिया जायेगा पर उसमे न तो ये लिखा है कि यह प्रमाणपत्र उनके द्वारा अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा करने की स्थिति में ही प्रदान किये जायेंगे।

NCTE गाइडलाइन्स पुनः जब कहती हैं कि इस प्रमाणपत्र की वैधता राज्य सरकार के निर्णयानुसार अधिकतम सात वर्ष तक हो सकती है तो वहाँ ये नहीं लिखा है कि वैधता-अवधि की गणना प्रमाणपत्र के निर्गत होने की तिथि से होगी या अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम के पूर्ण होने की तिथि से। स्पष्ट है कि टेट प्रमाणपत्र की वैधता इस बात से पर निर्भर नहीं करती की वह अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम की समाप्ति के पूर्व निर्गत हुआ या पश्चात्!

अब चूँकि टेट में सम्मिलित होने के लिए NCTE ने न्यूनतम अर्हता नहीं निर्धारित की, जिसे राज्य सरकार बढ़ा सके यानि NCTE द्वारा मात्र “अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में अध्ययनरत” के बदले अपने राज्य में टेट में सम्मिलित होने के लिए “अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम वर्ष/सेमेस्टर में अध्ययनरत” या “अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक उत्तीर्ण” होना निर्धारित कर सके। NCTE ने सीधे-सपाट शब्दों में टेट के लिए अर्हता निर्धारित कर दी है, जिसमे राज्य सरकारों द्वारा छेड़-छाड़ और परिवर्तन की गुंजाइश नहीं।

साथ ही, चूँकि केवल टेट के आधार पर नौकरी तो मिलनी नहीं, उसके लिए शैक्षणिक योग्यता और प्रशिक्षण-समाप्ति भी आवश्यक है, इसलिए “अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में अध्ययनरत अभ्यर्थी” को टेट का प्रमाणपत्र देने में किसी हानि या धांधली की सम्भावना नहीं। इसे यों भी कह सकते हैं कि एक अतिरिक्त आवश्यक अध्यापन सम्बन्धी योग्यता का आंकलन करने वाली परीक्षा, जिसके मात्र स्वयं के आधार पर आवेदन तक नहीं संभव, के प्रमाणपत्र की वैधता, अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम की पूर्णता पर निर्भर हो, ये आवश्यक भी नहीं।

एक और आखिरी पर महत्वपूर्ण बात, जब देश भर की राज्य सरकारों को एक निश्चित अन्तराल पर टेट आयोजित करने के लिए बाध्य किया जाना, और बीटीसी जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की समय पर समाप्ति और समय पर परीक्षाफल की घोषणा की गारंटी दिया जाना संभव नहीं है तो टेट-प्रमाणपत्रों की वैधता को इन अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की समय-योजना के साथ जोड़ना न केवल अव्यवहारिक है बल्कि ऐसी व्यवस्था सरकार की लापरवाही या ढिलाई का खामियाजा अभ्यर्थियों को अवसरों की अनुपस्थिति से वंचित कर सकती है। उदाहरणार्थ मान लीजिये, अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम (बीटीसी) के द्वितीय सेमेस्टर के अंतिम दिनों में में अध्ययनरत अभ्यर्थियों को टेट में न शामिल न होने दिया जाये और उनके तीसरे-चौथे सत्र के समय से पूर्ण हो जाये और परीक्षाफल भी समय से घोषित हो जाएँ, पर इस एक वर्ष में राज्य सरकार किसी कारणवश टेट न करवाए पर कोई चयन-प्रक्रिया प्रारंभ कर दे तो ऐसे अभ्यर्थी न सिर्फ उस अवसर से वंचित होंगे, बल्कि अगली टेट में और अगली चयन प्रक्रिया में तीनगुनी प्रतिस्पर्धा से जूझने को बाध्य होंगे, क्यूंकि उसमे उनके पहले से अर्ह हो चुके, उनके साथ अर्ह हुए और उनके बाद अर्ह हुए, सभी अभ्यर्थी सम्मिलित होंगे।

ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में एक एक लम्बी राजनैतिक विरासत, बाहुबल-युक्त, निरंकुश-जिह्व सहायको -परिजनों वाले युवा दिखते, दूरदर्शी बताये जाते और दक्षिण की चर्चित शिक्षा-मण्डी से एन्वाइरनमेंटल इंजीनियरिंग जैसी कलात्मक डिग्री लेकर आए वर्तमान मुख्यमंत्री की सरकार सितम्बर 2011 के बाद आज 26 जून 2013 तक यानी, 21 महीनो तक एक भी टेट नहीं करा पाई है। टेट-आयोजन की यह स्थिति रहे और भर्ती नियमित अंतराल पर हों और ऐसे अभ्यर्थी टेट न होने के कारण अवसर से वंचित हो जाएँ तो यह कहाँ तक सही होगा? शायद ऐसी विसंगतियों के निदान हेतु ही NCTE ने इस परीक्षा को वह स्वरुप दिया होगा ताकि इसका प्रमाणपत्र अन्य शैक्षणिक और प्रशिक्षण योग्यताओं के प्राप्त होने तक अभ्यर्थी के पास रहें तो परन्तु अनुपयोगी स्वरुप में, शैक्षणिक और प्रशिक्षण योग्यता प्राप्त होते ही यह उपयोग के लिए उपलब्ध रहें। योग्य अभ्यर्थियों की कमी और अध्यापन की गुणवत्ता बनाये रखने और हर चयन-प्रक्रिया में ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध अर्ह अभ्यर्थियों में से सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा के चयन के लिए इस से बेहतर और तरीका भी क्या हो सकता है?

और अंत में इस से कौन इनकार करेगा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के लागू होने के बाद इन मामलों में अंततः NCTE के दिशा-निर्देश चलने वाले है न कि बेशर्मी से जनता के पैसे से ही राजनैतिक रिश्वत के वादे के बदले वोट हथियाकर सत्ता में आये लड़के और उसको घेरे बैठे नीच-घृणित अपराधों के आरोपियों के झुण्ड की मनमानी, बस एक बार मामला कोर्ट के पाले में जाने भर की देर है!!

सन्दर्भ:

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Eligibility for Appearing in TET as per NCTE Guidelines dated 11.02.2011:

5. The following persons shall be eligible for appearing in the TET:
i. A person who has acquired the academic and professional qualifications specified in the NCTE Notification dated 23rd August 2010.

ii. A person who is pursuing any of the teacher education courses (recognized by the NCTE or the RCI, as the case may be) specified in the NCTE Notification dated 23rd August 2010.

Guidelines also says that:

The appropriate Government conducting the Test shall award a TET Certificate to all successful candidates.
The Validity Period of TET qualifying certificate for appointment will be decided by the appropriate Government subject to a maximum of seven years for all categories.
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